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कठोपनिषद १.२.४~ हम कौन है, जगत से हमारा क्या रिश्ता और जिया कैसे जाए?

लाओ त्सु- ताओ द चिंग भाग १.२

लाओ त्सु- ताओ द चिंग भाग १.१

कठोपनिषद-1.1.1

'शिवमय' होने का अर्थ

अष्टावक्र गीता- 1.1

पानी में मीन प्यासी- कबीर साहब

भगवत गीता- अर्जुन विषाद योग- भाग १.२

भगवत गीता- अर्जुन विषाद योग- भाग १.१